स्वाक्षर
स्वाक्षर


कोशिश भी ना करना कभी,
मुझे बदल ना पाओगे,
मुझसा बन भी ना पाओगे
मार लो हाथ पैर जितना भी
मेरी नकल कर ना पाओगे।
मैं स्वाक्षर हूँ...........
मुझे बदल ना पाओगे,
मुझसा बन भी ना पाओगे।
नकल करने की आदत
होति तुम जैसों की
मुझे नकली बनाने की
कोशिश तो करोगे ही।
पर मैं नशा हूँ नशेड़ी नहीं
तुम्हे नंगा कर दूँगा।
जब हसेगी दुनिया
तेरी नंगे पन पर।
तब तुम समझ पाओगे
मुझे नंगा करने की कोशिश में
खुद नंगे हो जाओगे।
गाँठ बाँध लो कस कर,
मैं स्वाक्षर हूँ .........
मुझे बदल ना पाओगे
मुझसा बन भी ना पाओगे।
मैं अभिमन्यु हूँ
मुझसा बन ना पाओगे।
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अनगिनत रथी हैं यहाँ
तुम सा और तुम से भी बड़े कई
मुमकिन है जंग जीत भी जाओ
नहीं तो हार भी जाओगे।
पर अभिमन्यु बन ना पाओगे,
जंग जीत कर् भी
मर ना पाओगे,
मैं स्वाक्षर हूँ.........
मुझे बदल ना पायोगे
मुझसा बन भी ना पाओगे।
मैं गुमान हूँ, अभिमान हूँ
सम्मान हूँ, स्वाभिमान हूँ।
मैं चट्टान पे लिखी बखान हूँ,
शिला लिपि हूँ मैं
उंगलियाँ लहूलुहान
हो जाएंगे तेरी
मुझे मिटा ना पाओगे।
और....टूट भी जाऊँ
कभी इस दरम्यां
मेरी टुकड़े भी उद्गार करेंगे,
साया तेरी ही तुझे डराएंगे,
मैं स्वाक्षर हूँ ............
मुझे बदल ना पाओगे,
मुझसा बन भी ना पाओगे।