सुकून की नीद और चैन की साँस
सुकून की नीद और चैन की साँस
सुकून की नींद चैन की साँस,
सब कम सी होती जा रही है,
मगर अहसास और भी गहरा हुआ,
जो दीमक लगी थी किताबों पर,
अब उन पर आँखों का पहरा हुआ,
किये थे लाख कोशिशें,
किये थे खुद से अनोखे वादे,
मगर लगता है अब तक न वो पूरा हुआ,
लाख जोखिमों के बदले मिलती गई चोटें,
इंसानियत का पाठ अब पूरा हुआ,
सोचा दौड़ कर लग जाऊँ गले उनके,
पता चला उनका पता भी कोई दूसरा हुआ,
उसी ने जन्म दिया है वही अब मौत देगा,
न जाने वक्त कितने इम्तिहान लेगा.....
सुकून की नींद चैन की साँस ...
उन लम्बी मीनारों को देख अब यही लगता है,
एक दिन हम भी उन मीनारों में दफन हो जायेंगे,
मगर अभी आस बाकी है अभी साँस बाकी है,
नहीं छोड़ेंगे, नहीं भूलेंगे,
अभी तक जो किये थे जो खुद से वादे....
