सत्य को बोलने दो
सत्य को बोलने दो
सत्य को बोलने दो,
दम घुट रहा है उसका उसको भी सांस भरने दो।
भीड़ शायद बहरी थी,
सत्य की चीख तभी किसी को सुनाई ना दी थी,
मैने सत्य को मौन होते देखा,
मैने इस समाज को सत्य की आवाज दबाते देखा,
अरे कोई बोलने दो उसे,
जो कहना है कहने दो उसे,
झूठ जग को अंधियारे में खीच लाया,
सत्य के अस्तित्व को मिटाया इस जग ने मिटाया,
जो सवेरा चाहते हो सुनहरा,
जो सुनना चाहते हो असल हकीकत है क्या,
सत्य की चुप्पी को तोड़ो,
उठो सत्य बदलाव तुमसे ही आयेगा।
जब बोलोगे तुम,
तभी इन आंखों से जूठ का परदा हट पाएगा।
जो सत्य है उसे बस वही कहने दो,
कुछ कान बंद करेंगे,
कुछ सत्य पर आरोप लगाएंगे,
मैं सत्य से कहता हूं तुम डरना नहीं,
आज सत्य तुम सत्य वचन बोलने से घबराना नहीं,
पुरानी है प्रथा,
झूठ का है बोलबाला और सत्य बस घुट घुट कर जीता रहा,
अब बस और नहीं,
चुप्पी अब और नहीं।