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दयाल शरण

Drama Inspirational

2.5  

दयाल शरण

Drama Inspirational

संवाद

संवाद

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आदतें कुछ ऐसी

बनाकर रखिये

बात कहिये पर

तंज नहीं कसा कीजे।


रिश्तों में सिर्फ समझौते

क्यूँ समझे जाते हैं

जब कभी मिलिए

बेलौसी से मिला कीजे।


फिर बातें बेपनाह खर्च करने की

याकि बेहिसाब जोड़ने की

यार ये रिश्ता है

खातों की किताब नहीं।


माँ जो बचा के रखती थी

निवाला बनाके तुम्हें खिलाती थी

वह सिर्फ फर्ज नहीं

रिश्तों की दुशाला थी जनाब।


क्या सही है, क्या गलत

वक्त समझाएगा उन्हें

जब कोई हाथ बढाये सहारे को

तो सिर्फ दिल की सुना कीजे।


आदतें कुछ ऐसी

बनाकर रखिये

जब कभी मिलिए

बेलौसी से मिला कीजे।


फिर बातें बेपनाह खर्च करने की

याकि बेहिसाब जोड़ने की

जब कोई हाथ बढाये सहारे को

तो सिर्फ दिल की सुना कीजे।


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