सन्नाटा
सन्नाटा
हर ओर एक
अजीबोगरीब सन्नाटा
डर लगने लगा है
इस खामोशी से
न पहले जैसी
चहल-पहल
न भागमभाग
वाली ज़िन्दगी
क्या हो गया है ये
क्यों हो गया है ये
आखिर कब तक
चलेगा ऐसे
कभी बहुत अधिक
शोरशराबे से
दम घुटता था आज
सन्नाटे से बेज़ार है
मेरे मौला कब
निज़ात मिलेगी इससे
कब आएगी
नई सुबह
कब मुस्करायेगी
ज़िन्दगी..!
