सनम
सनम
सोचते सोचते थक गया हुं,
कैसे समज़ाउं मै सनम तुम्हे,
बात झगड़े की मामुली सी है,
कैसे ऐहसास करावुं सनम तुम्हे।
क्युं नाराज़ होती हो मुझ से तुम,
प्यार मेरा दिल से समज़ो सनम तुम,
नफ़रत की आग में ज़लाया है मुज़को,
घायल बन गया हुं अब सनम मै।
प्यार से तुमको मना रहा हुं,
दिल में बसाउंगा मै सनम तुम्हे,
तुम्हारे अरमान पुरा करना है मुज़े,
दिल से कसम खाता हुं सनम मै।
अब छोड़ो ज़िद, नज़र मिलालो तुम,
तुम्हारी आदत से परेशान हुं सनम मैं,
मेरे दिल में झांखकर देखो तुम,
कितना बेबस हो गया हुं सनम मैं।
आ ज़ाओ बांहोमें ईन्तज़ार करता हुं,
तुम बिन जीवनमें अधूरा हुं सनम मैं,
"मुरली" के दिल की धड़कन हो तुम,
महसूस कराऊंगा तुम्हें सनम मैं।