संगीत: आत्मा की भाषा
संगीत: आत्मा की भाषा
संगीत: आत्मा की भाषा
संगीत का जादू
संगीत बहाए सुरों की धारा,
मन के तारों को छेड़े प्यारा।
शब्द न बोले, फिर भी कह दे,
दिल की भाषा, स्वप्न सवेरा।
संगीत बहता निर्मल झरना,
मन के उपवन को महकाये।
सुर की नदियाँ जब गुनगुनाएँ,
हर कण-कण झूमता जाये ।
बंसी की मीठी तान सुने,
मन मोहन की छाया लगे।
वीणा के मधुर झंकार संग,
हर दुःख भी अमृत हो जाए।
सारंगी रोए, बहे गहराई।
बंसी की तान में गूंजे मधुराई,
सितार झनके तो स्वर्ग उतर आए,
संगीत की तान पे हर फूल मुस्काए।
राग में छिपा है जादू ऐसा,
शांत करे मन, कर दे वैसा।
ताल की लय पर झूमें धड़कन,
हर सुरों में छुपी हैं चंचल चितवन।
घुंघरू बोले थिरक-थिरक धिन,
साज बजे धिन तड़क धिन ,
शब्दों से परे इक जादू ऐसा
जो बजता जब हर पल छिन।।
संगीत, जीवन की सरगम हैं,
हर दर्द जैसे मीठा मरहम है।
जो सुन ले इसे खोकर खुद में,
वो पा जाए शांति जीवन में।
सुरों की लीला हैं अपरम्पार,
गूंजे नभ में, धरती के पार।
झरनों की मृदु झंकार,
बहती गंगा पवन की तार।
वीणा की झंकार में शक्ति,
बंसी में राधा की भक्ति।
मृदंग की थाप जब जब गूंजे,
नाचे धरती, झूमें भक्ति।
संगीत सजे जब चाँदनी लहरायें,
शीतलता हर पल बरसाए।
भीतर की हलचल शांत करे,
रूह को जैसे अमन पहुँचाए।
छू ले जो सुरों की गहराई,
वो खुद से फिर कभी दूर नहीं होता,
संगीत तो है ईश्वर का वरदान,
इसलिए देता शांति का पैगाम !

