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कवि काव्यांश " यथार्थ "

Romance Tragedy Inspirational

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कवि काव्यांश " यथार्थ "

Romance Tragedy Inspirational

तुमने कहा था… एक अटूट प्रेम

तुमने कहा था… एक अटूट प्रेम

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🌹 लघु काव्य-गाथा : तुमने कहा था…


भाग 1 : वचन का प्रथम स्पर्श

तुमने कहा था,
प्रेम सिर्फ़ एक एहसास नहीं,
यह तो आत्मा का वह गीत है
जो दो हृदयों को एक ही लय में गाने पर मजबूर करता है।

तुमने कहा था,
कि जब हम दोनों साथ होंगे,
तो वक़्त भी रुककर
हमारे मिलन की गवाही देगा।
तब लगा था मानो
दुनिया का हर फूल,
हर तारा,
हर हवा का झोंका
तेरे शब्दों के सुर में झूम रहा हो।

तुमने कहा था,
“मैं तुझे छोड़ूँगा नहीं,
चाहे दूरी कितनी भी बढ़ जाए।”
और सचमुच,
तेरे इन शब्दों ने मेरे दिल में
एक ऐसा दीप जला दिया
जो आज तक बुझा नहीं।


भाग 2 : दूरी की तपस्या

फिर आया वो समय,
जब तेरी आहटें दूर हो गईं,
तेरे चेहरे की रौशनी
सिर्फ़ यादों के आईने में दिखने लगी।
मैंने सोचा था वचन शायद टूट जाएगा,
पर तेरे शब्द…
वो तो जैसे मेरे साथ
हर साँस में शामिल हो गए।

तुमने कहा था,
“प्रेम का असली इम्तहान
जुदाई की रातों में होता है।”
और सच मानो,
हर रात मैंने
तेरी यादों को तकिए पर बिखरते हुए
अपनी हथेलियों से समेटा है।

तेरे बिना भी मैं अकेला नहीं था—
तेरे वचन ही मेरा सहारा थे।
तेरे कहे वाक्य ही
मेरे आँसुओं में दीप बनकर जलते रहे।


भाग 3 : आत्मा का आलिंगन

तुमने कहा था,
“प्रेम सिर्फ़ देह का बंधन नहीं,
यह आत्माओं का आलिंगन है।”
और सच,
जब आँखें बंद करता हूँ
तो तेरी आत्मा मेरी आत्मा में
एक अनंत प्रकाश बनकर उतर आती है।

तेरे बिना ज़िंदगी अधूरी सही,
पर तेरे वचन पूरे हैं।
तेरी अनुपस्थिति में भी
तेरे शब्द मेरी साँसों में
मंत्र की तरह गूंजते हैं।

तुमने कहा था,
“जब दुनिया हमसे दूर हो जाएगी,
हमारा प्रेम तब भी अमर रहेगा।”
और आज मैं देखता हूँ,
तेरा वचन सच हुआ है—
तेरी अनुपस्थिति भी
मुझमें तेरी उपस्थिति को और गहरा देती है।


भाग 4 : अनंत मिलन

अब लगता है,
तेरे कहे शब्द ही मेरी नियति हैं।
तू नहीं तो क्या—
तेरी बातें ही मेरा जीवन हैं।
तेरा हर वादा मेरे भीतर
अनंत शपथ बन गया है।

तुमने कहा था,
“कभी हार मत मानना,
हमारे प्रेम का अंत नहीं होगा।”
और देखो,
तेरे जाने के बाद भी
मैं तुझे हर सांस में जी रहा हूँ।

यह प्रेम अब किसी सीमांत में नहीं बंधा,
यह तो अमर हो गया है,
अनंत हो गया है।
तेरे शब्दों की तरह,
तेरे वचनों की तरह…
तुमने कहा था—
और वही मेरा सत्य बन गया।


✨ 



स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित रचना 

लेखक :- स्वाप्न कवि काव्यांश "यथार्थ"  

            विरमगांव, गुजरात।




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