जय जय भारत।। जय भारत
जय जय भारत।। जय भारत
।।देशभक्ति गीत ।।
जय-जय भारत, जय भारत-
जय हिन्द, जय भारत मां
की जय जयकार,
भारत मां के चरणों में
हम शीश नवाते जाएगें ,
इस माटी को तिलक लगा
मां की शान बढ़ाते जाएंगे ।
आओ सब मिलकर हम
प्रण ये करते हैं,
जब तक रहेगा
तन में लहू, कतरा कतरा
हम न्यौछावर करते जाएंगे।।
भारत मां के बेटे हैं,
हम अपना
वचन निभाते जायेगें।।
भारत मां के बेटे हैं,
मां की रक्षा हेतु
हम अपना
वचन निभाते जायेगें।।
हर दिल में तेरा वास रहे,
हर सांसों में तेरा उपकार बहे,
तेरे लिए क्या जीना क्या
–मरना क्या,
तेरी शान की खातिर
बलिदानों के शीश कटें।
जय-जय भारत, जय भारत-
जय हिन्द, जय भारत मां
की जय जयकार,
भारत मां के चरणों में
हम शीश नवाते जाएगें ,
इस माटी को तिलक लगा
मां की शान बढ़ाते जाएंगे ।
आओ सब मिलकर हम
प्रण ये करते हैं,
जब तक रहेगा
तन में लहू, कतरा कतरा
हम न्यौछावर करते जाएंगे।।
भारत मां के बेटे हैं,
हम अपना
वचन निभाते जायेगें।।
सूरज-सा चमके तेरी रोशनी,
चाँद-सा तेरा सौंदर्य खिले,
तेरी धरती स्वर्ग से न्यारी,
तेरे गीतों में जीवन की ज्योत जले।
हर बालक तेरा लाल बने,
हर यौवन तेरा ढाल बने,
तेरी रक्षा में उठ खड़ा हो,
हर भारतवासी वीर बने।
जय-जय भारत, जय भारत-
जय हिन्द, जय भारत मां
की जय जयकार,
भारत मां के चरणों में
हम शीश नवाते जाएगें ,
इस माटी को तिलक लगा
हम मां की शान बढ़ाते जाएंगे ।
आओ सब मिलकर हम
प्रण ये करते हैं,
जब तक रहेगा
तन में लहू, कतरा कतरा
हम न्यौछावर करते जाएंगे।।
भारत मां के बेटे हैं,
हम अपना
वचन निभाते जायेगें।।
सीमा पर खड़ा सिपाही कहे,
देश की शान न कभी मिटने पाए,
शांति का दीप जले सदा पर,
दुश्मन कभी न सर उठा पाए।
एकता की हो पताका ऊँची,
प्रेम और बलिदान की पूँजी,
सच और धर्म की राह चले,
भारत माँ की जय-जय गूँजी।
जय-जय भारत, जय भारत-
जय हिन्द, जय भारत मां
की जय जयकार,
भारत मां के चरणों में
हम शीश नवाते जाएगें ,
इस माटी को तिलक लगा
हम मां की शान बढ़ाते जाएंगे ।
आओ सब मिलकर हम
प्रण ये करते हैं,
जब तक रहेगा
तन में लहू, कतरा कतरा
हम न्यौछावर करते जाएंगे।।
भारत मां के बेटे हैं,
हम अपना
वचन निभाते जायेगें।।
देश का बच्चा-बच्चा
बलिदानों की गाथा गाए,
शहीदों की बोले भाषा,
भारत-माँ की शान बढ़ाए।
रग-रग में बिजली दौड़े,
हर दिल में तूफ़ान जगे,
माटी की सौगंध खातें
हर जन वीर जवान बने।
जय-जय भारत, जय भारत-
जय हिन्द, जय भारत मां
की जय जयकार,
भारत मां के चरणों में
हम शीश नवाते जाएगें ,
इस माटी को तिलक लगा
हम मां की शान बढ़ाते जाएंगे ।
आओ सब मिलकर हम
प्रण ये करते हैं,
जब तक रहेगा
तन में लहू, कतरा कतरा
हम न्यौछावर करते जाएंगे।।
भारत मां के बेटे हैं,
हम अपना
वचन निभाते जायेगें।।
धरती माँ का कण-कण पवित्र,
उसमें शौर्य की गाथा है,
वीरों के रक्त से सींचा
यह भारत की परिभाषा है।
हम सब मिलकर गाएँ गीत,
हिम्मत का, अभिमान का,
जहाँ गूँजे नारा केवल
जय-जय हिंदुस्तान का।
जय-जय भारत, जय भारत-
जय हिन्द, जय भारत मां
की जय जयकार,
भारत मां के चरणों में
हम शीश नवाते जाएगें ,
इस माटी को तिलक लगा
हम मां की शान बढ़ाते जाएंगे ।
आओ सब मिलकर हम
प्रण ये करते हैं,
जब तक रहेगा
तन में लहू, कतरा कतरा
हम न्यौछावर करते जाएंगे।।
भारत मां के बेटे हैं,
हम अपना
वचन निभाते जायेगें।।
सुनों सुनों भारत माता
क्या कहती हमसे,
बलिदानों की राह चलों,
चलों राह शहीदों के,
मर मीटों मगर मां की
अस्मत न कभी लुटने पाए।
विजय पताका शान से लहराओं,
सत्य-धर्म की राह चलो,
आगे बढ़ो कदम-कदम पर,
बोलो, भारत माँ की जय बोलो।
जय-जय भारत, जय भारत-
जय हिन्द, जय भारत मां
की जय जयकार,
भारत मां के चरणों में
हम शीश नवाते जाएगें ,
इस माटी को तिलक लगा
हम मां की शान बढ़ाते जाएंगे ।
आओ सब मिलकर हम
प्रण ये करते हैं,
जब तक रहेगा
तन में लहू, कतरा कतरा
हम न्यौछावर करते जाएंगे।।
भारत मां के बेटे हैं,
हम अपना
वचन निभाते जायेगें।।
रोक सकों तो रोक लो
हम वतन की राह पर
चलते चलें जायेगें,
फिर तेरी अस्मत पर
कोई आंच न आए,
फिर तेरे दामन पर
कोई दाग़ ना लगा पाए,
तेरी माटी में आग जले,
और भड़के शोले पानी में
तन मन तुझ पे अर्पित हो,
ये जीवन तुझ पे समर्पित हो
देश प्रेम की ज्वाला भड़के
और भड़के आग बलिदानों की
रग-रग में प्रज्वलित हो
त्याग समर्पण और समता की।।
वन्दे मातरम्।। वन्दे मातरम्।।
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित रचना
लेखक :- स्वाप्न कवि काव्यांश "यथार्थ" विरमगांव, गुजरात।
