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निखिल कुमार अंजान

Drama

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निखिल कुमार अंजान

Drama

समय का देखने बहाव

समय का देखने बहाव

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समय का देखने बहाव

बदलो अपने हाव भाव

इस चक्कर में

जमीर को मत मार देना।


मन में न हो

किसी के लिए कुटिल भाव

आँखन देखी कानन सुनी

पर भी बिन सोचन विचारन।


तुम मत खाना ताव

सदैव निर्मल रखना

अपना स्वाभाव।


बड़े बूढ़न के लिए

मन में रखना

सदैव सेवा भाव।


चार अक्षर पढ़न से

बेशक बन जाओ

ज्ञानी गुणवान।


परंतु इससे विपरीत है

सामाजिक ज्ञान विज्ञान

हम तो बस ऐसे ही

लिखते रहेंगे साहब


हम ठहरे इन बातन से बिल्कुल "अंजान"...


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