शीर्षक-मुखौटे
शीर्षक-मुखौटे
और कितने मुखौटे लगाएगी
ये दुनिया
क्या पता कौन राम है कौन रावण है
किस-किससे खुद को छिपायेगी
ये दुनिया
क्या पता किस भेष में रक्षक मिल जाये
और किस भेष में भक्षक
और कब तक अपना मुंह छिपायेगी
ये दुनिया
रिश्ते- नाते सब फरेब के है ताने-बाने
क्या पता किस मोड़ पे फरेबी मिल जाये
किस-किस की पहचान छिपायेगी
ये दुनिया
विश्वास के नाम पर है छल-कपट
दौलत के लिए है ये सारा प्रपंच
कब तक ये हकीकत छिपायेगी
ये दुनिया
गिरता हुआ गर्त में चला मुक्ति
का कोई मार्ग ना मिला और
कब तक दुष्कर्म छिपायेगी
ये दुनिया
और कितने मुखौटे लगाएगी
ये दुनिया।।
