उड़ान
उड़ान
मत रोको मुझे, मत टोको मुझे
उड़ने दो खुले आसमान में
सपने के महल बनाने दो
पूरा तुम उनको करने दो
मत काटो मेरे पंख
दो मुझे नई उड़ान
मत समझो मुझे तुम बोझ
में हूं तुम्हारा अभिमान
में लक्ष्मी बनकर आई हूं
क्यों शापित मुझे समझते हो
मेरे कंधों पर ही सारी
बंदिशें क्यो धरते हो
क्या मुझे नही अधिकार यहां
अपने मन का कुछ करने का
मत बांधो मुझको बेड़ियों से
ऊंची उड़ान मुझे भरने दो।