मन की खिड़की
मन की खिड़की
घनघोर अंधेरे को चीरते हुए
निकली है एक उम्मीद की किरण
स्वर्णिम आभा लिए कांतिमय
जिसने समाप्त किया है
जीवन के गहन तिमिर को
और फैलाई है रोशनी की किरणें चंहुऔर
आगमन हुआ है दक नूतन सूर्योदय का
फैला है हर्षोल्लास चारों दिशाओं में
मिट गए है सारे दुःख-दर्द,पीड़ा
अनवरत बहेगी अब प्रसन्नता की लहरें
और हमारा चित्त करेगा नृत्य
इस मधुरम संगीत पर
तब खुलेगी खुशियों से भरी
हमारे मन की खिड़की।
