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Payal Meena

Classics

4  

Payal Meena

Classics

-माँ जानकी

-माँ जानकी

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धरती माँ की कोख से जन्मीं

महलों में वो पली हुई

राजमहल में हँसते-खेलते

ना जाने कब बड़ी हुई,

निश्छल ह्रदय की थी वो स्वामिनी

राजकुमारी वो जानकी

ब्याही गई इक राजकुंवर संग

स्वयंवर रोचक घना था भारी ही,

अयोध्या के महलों में आई

राम संग बनके नई-नवेली नार थी

लेकिन समय ने फेर ये बदला

मनहूस घड़ी वो आई थी,

राम को वनवास हो गया

सीता भी संग में जाने लगी

पंचवटी में कुटिया बनाई

राम लखन संग रहने लगी,

दुष्ट रावण ले गया उठाकर

हाहाकर सी मच ही गई

राम ने सिया को रिहा कराया

रावण की मृत्यु आई थी,

तीनों मिलकर चले अयोध्या

खुशियां लौट के आई थी

लेकिन कुद्रष्टि लगी ये किसकी

सीता फिर वन आई थी,

लव-कुश का फिर जन्म हुआ था

राम ने खबर ये पाई थी

धरती माँ में समा गई सीता

बस चोटी हाथ में आई थी,

नियति का ये खेल था कैसा

राजकुँवरी वनवासिनी हुई

अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी

अंततः धरती में समाई थी।


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