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अर्चना तिवारी

Classics

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अर्चना तिवारी

Classics

पिता

पिता

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श्रम स्वेद से अपने सिंचित करते

सुंदर भविष्य के जो सपने सजाते।

जीवनपथ के हर काँटे चुन लेते

पतवार बन हर तूफ़ान से बचाते।


न थकान न कोई इच्छा रखते  

पर हमारी हर जरूरत पूरी करते।

वटवृक्ष की शीतल छाँव बन

हर ताप घाम से हमें बचाते।


कंकरीली-पथरीली डगर पर चलना

मुश्किलों का सामना करना सिखलाते।

न घबराना न परेशान होना

सब अच्छा होगा कहते रहते।


संस्कारों के बीज रोपित करते

लेखनी को जो सदा आशीष देते।

हमेशा मुझमें जो साहस भरते

हर हाल में गले लगाते पिता।


माँ हमें जीवन देती है

तो पिता जीवन को रोशन करते।

मेरा गुरूर जिससे मिली मुझे पहचान

जिसने मुझे दिया ‘अर्चना’ नाम।


जो मेरा संबल मेरी शक्ति हैं  

पिता शब्द खुद में ही अभिव्यक्ति है।


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