शुभ कृष्णजन्माष्टमी
शुभ कृष्णजन्माष्टमी
जन्मदिन कान्हा आज तुम्हारा आया,
भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी,
रोहिणी नक्षत्र एवं वृषभ राशि में चन्द्रमा,
यह सुन्दर संयोग आज बन आया।
अर्द्धनिशा में कारागृह में जन्म हुआ
कंस के बन्दी थे वसुदेव देवकी जहॉं,
रात्रि में ही यमुनापार गोकुल पहुँचाए गए,
यशोदा मैया ने जन्मी थी कन्या जहॉं।
क्रान्तिकारी तुम्हारा जीवन दर्शन,
मोरपंख एवं बाँसुरी को अपनाया,
गीता का ज्ञान पार्थ हित सुनाया,
गोपललनाओं से रास भी रचाया।
कर्म तुम्हारे समझ नहीं पाते हम,
इतना विराट् व्यक्तित्व तुम्हारा,
बस करते हैं प्रणाम् शीश झुका,
उस नटवर नन्दलला लड्डुगोपाल को।
जो कभी बैठे कदम्ब की छैंया,
मुरली मोहन मधुर बजाते हैं,
फिर मुरली छोड़ वहीं वृन्दावन में,
कुरुक्षेत्र में शंख पॉंचजन्य बजाते हैं।
सब पुरानी परम्पराएँ तोड़ी,
सबको तुमने प्यार से अपनाया,
राम ने सीता को वनवास दिया ,
बन्दी राजकन्याओं को तुमने अपनाया।
राम की मर्यादा से कितना विपरीत
चरित्र तुम्हारा पूर्ण पुरुषोत्तम है,
त्रेता का युग धर्म बदला द्वापर में,
परब्रह्म योगेश्वर तुम कहलाये हो।
कृष्ण श्रीविष्णु के आठवें अवतार,
निष्काम कर्मयोगी ,आदर्श वक्ता,
स्थितप्रज्ञ ,दैवी सम्पदा के धनी,
जगदगुरु कृष्ण को वन्दन बारम्बार।