STORYMIRROR

Payal Meena

Others

4  

Payal Meena

Others

शीर्षक-त्रिया

शीर्षक-त्रिया

1 min
429


क्यों मूक बन बैठी है

क्यों सह रही है

नृशंसता के धनी मानुषों 

का व्यभिचार

क्यों सिला तुमने स्वयं 

के अधरों को

क्यों पड़ी हो तुम क्लांत,

निष्प्राण, अधमरी सी

क्या तुझमें वो सामर्थ्य नहीं

जो कर सके आक्षेप 

इन हिंसकों के कृत्यों का

क्या तुम भूल गई

है तुझमें विराजमान

वो दैवीय शक्ति साक्षात भवानी

जिसने पोषित किया है 

तुझे अपने दिव्य आशीष से

फिर क्यों तू पत्थर 

बन बैठी है

तुम उठो और सज्ज करो

अपने हथियारों को

और ले आओ क्रांति

अपने साहसी विचारों की

लांघ जाओ उस दहलीज को

जिसने बनाया है तुम्हें बंधक

और छलनी किया है 

तुम्हारी स्वच्छंदता को

तुम बन जाओ दुर्गा

और अंत कर दो 

इस समाज से पुरुषत्व के

एकाधिकार को

और छीन लो अपने

समानांतरता के अधिकार को

और करो एक

नए युग का आगाज

है "त्रिया" तुम उठो

और कर लो प्राप्ति

अपने यथोचित स्थान की।।



Rate this content
Log in