शिक्षक-बंधक स्त्रियां
शिक्षक-बंधक स्त्रियां
मेने देखा है पढे-लिखे
उच्च पदों पर आसीन
सज्जनों के घरों में
पढ़ी-लिखी स्त्रियों को
अक्सर घुटते हुए हर रूप में
कभी पत्नी के रूप में
कभी बेटी के रूप में
तो कभी बहु के रूप में
अपनी दकियानूसी खोखली
बातों की दुहाई देकर
बंदिशें लगाते हुए
अपने घर की स्त्रियों पर
जो दावा करते है समाज में
कि हम चल रहे है समाज में
कदम से कदम मिलाकर
और देते है स्त्रियों को
बराबर का दर्जा
वो रखना चाहते है अपने
घर की स्त्रियों को
पैरों की जूती तले
रूढ़िवादी विचारों की
श्रखंला उनकी जो अनन्त है
उसे थोपना चाहते है वो स्त्रियों पर
परम्परा का नाम देकर
मैंने देखा है ऐसे शिक्षित लोगों को
जो छीन लेना चाहते है
एक स्त्री से उसका स्त्रीत्व और
उसकी स्वछंदता
और बना देना चाहते हैं उसे बंधक
अपने ही घर में।
