नन्ही परी
नन्ही परी
आँखों को मींचे सुबह की
हल्की रोशनी में
सो रही है एक नन्हीं परी
न जाने कोनसी दुनिया में
अपने सपनों में गुम
दुनिया है है उसकी अनोखी
कल्पनाओं जे भरी
साथी है उसके अतरंगे
भात-भात के खिलौने
जिनको समझती है वो हकीकत
रहती है अपनी ही दुनिया मे गम
सो रही है एक नन्हीं परी।।
