सावन की महक
सावन की महक
है चिरपरिचित अंदाज़ ये सावन का
कभी अठखेलियां हुआ करता था आंगन में
बारिश की बूंदों संग भीगने का वो मन
आंगन में बारिश के संग वो खेलता बचपन
है चिरपरिचित अंदाज़ ये सावन का
घर के पीछे के बागों कि हरियाली
सावन की हवाओं में झूमती वो अमरूद के पेड़ की डाली
पत्तों के झुरमुट से झरती वो बारिश की बूंदें
तन और मन को ठंडक पहुंचाती वो सावन कि हवाएं
है चिरपरिचित अंदाज़ ये सावन का
बारिश के मौसम में वो बागों में वो पेड़ की नीचे बैठना
बेमौसम सी सर्द हवाओं से सिसकना
वो केले के पत्तों से सर को ढकना
फिसलती हुई पेड़ो पर चढ कर वो आम का तोड़ना
है चिरपरिचित ये अंदाज़ सावन का
खुले आसमां में वो बारिश म
ें भीगना
बारिश के पानी को दोनों हाथों को जोड़कर पीना
वो पैरों को छप से पानी में उड़ेलना
वो और तेज़ बारिश होने पर मन में खुशियों का होना
है चिरपरिचित ये अंदाज़ सावन का
वो बारिश के समय मां का आवाज देना
उनके गुस्से होने पर हड़बड़ाहट में उनके पास आ जाना
वो प्यार से मां का सर के बालों का पोछना
मां के नर्म हाथों से से फिर भीगे बालों को सहलाना
है चिरपरिचित अंदाज़ ये सावन का
बारिश के बाद झर झर मोतियों सा वो
बारिश की बूंदों का पतों से झरना
उन बूंदों कि बारिश में फिर अपने दोस्तो को खींचना
उनके उस गुस्से को भी प्यार से देखना
फिर से उन पर बारिश की बूंदों को उड़ेलना
है चिरपरिचित अंदाज़ सावन का।