मानवता की जीत
मानवता की जीत
है काल का अंधकार, फिर भी ये छट जायेगा,
तू ना सोंच की ये मुश्किल धरा का धरा रह जायेगा !
हम जीत लेंगे इस काल के रूप विकराल को,
हम होंगे विजय, निकलेंगे हम भी इस मुश्किल हाल से !
है हम में इतना हौसला की, की जीत लेंगे इस जंग को,
तू ना सोच की......
खुशियों का सवेरा फिर से लौट के जल्द आएगा,
चिड़ियों का चहकना फिर से पास उसके ले जायेगा !
उगते सूर्य की लालिमा फिर से आँखों में चमक लायेगा।
तू ना सोंच की ये मुश्किल धरा का धरा रह जयेगा।
है विश्व की मांग की तू ठहर जा जरा,
तू बांध तो खुद को सही,
फिर देख ये जग, इस जंग से जीत जायेगा,
की ये काल का अंधकार खुद ही छंट जायेगा!
तू ना सोच की...
जीते है हमने इनसे मुश्किलो से भरे जंग,
हुई थी रक्तरंजित ये धरा फिर भी
मानव ने लिखी थी जीत की एक नई इतिहास!
कल हम जीत के निकलेंगे, फिर से मानवता की नई उमंग लहरायेगी,
फिर से मिल बैठ हम इस जीत के किस्से सबको सुनाएंगे I