प्रकृति है हम
प्रकृति है हम
न दिख रहे है हम,
न झुक रहे है हम,
क्युकी साहब कोरोना है हम i
है कौन ये दुनिया को दिखा रहे है हम,
मेरे में कितना दम है,
ये लोगो को समझा रहे है हम i
जिधर देखो उधर मेरे डर से पसरा है सन्नाटा,
की लोग दुबके पड़े है,
घर में लेके लैपटॉप और डेटा i
है कौन ये अब हम तुमको दिखलायेंगे,
प्रकृति के साथ खेलने का
अंजाम तुमको बतलायेंगे i
ये मत समझ कि प्रकृति
चुप चाप बैठा रहता है,
सब आँख भींचे कान खोल सुनते रहता है i
मुझे ये पता है कि लोग कितने तंग है,
कोरोना के आग में
लड़ रहे लोग एक नई जंग है i
स्कूल-कॉलेज में लटक रहे हैं
दिन दहाड़े ताले हैं
बस-कार सब बेकार आज
झूल रहे इनमे भी ताले है i
की अब भी सम्भलो और समझ लो,
की प्रकृति है हम,
की इसके दोहन से निकले कोरोना है हम I
