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Abhimanyu Lohani

Abstract

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Abhimanyu Lohani

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प्रकृति है हम

प्रकृति है हम

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न दिख रहे है हम,

न झुक रहे है हम,

क्युकी साहब कोरोना है हम i


है कौन ये दुनिया को दिखा रहे है हम,

मेरे में कितना दम है,

ये लोगो को समझा रहे है हम i


जिधर देखो उधर मेरे डर से पसरा है सन्नाटा,

की लोग दुबके पड़े है,

घर में लेके लैपटॉप और डेटा i


है कौन ये अब हम तुमको दिखलायेंगे,

प्रकृति के साथ खेलने का

अंजाम तुमको बतलायेंगे i


ये मत समझ कि प्रकृति

चुप चाप बैठा रहता है,

सब आँख भींचे कान खोल सुनते रहता है i


मुझे ये पता है कि लोग कितने तंग है,

कोरोना के आग में

लड़ रहे लोग एक नई जंग है i


स्कूल-कॉलेज में लटक रहे हैं

दिन दहाड़े ताले हैं

बस-कार सब बेकार आज

झूल रहे इनमे भी ताले है i


की अब भी सम्भलो और समझ लो,

की प्रकृति है हम,

की इसके दोहन से निकले कोरोना है हम I                                    


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