माँ
माँ
घनघोर अंधेरे में एक हल्की
उजियारे की किरण दिखी
मैंने अधखुली नजरों से देखा कोन है
कौन है वो जो मेरे अंधियारे जीवन मे
रोशनी लेकर आया है
थामा है हाथ मेरा ओर फिर से
चलना सिखाया है
भूल था मुस्कुराना
उसने फिर से हंसना सिखाया है
गुम था गुमनामी के अंधेरो में
उसने आकर सही रास्ता दिखलाया है
में भुला था क्या अस्तित्व है मेरा
उसने मुझसे, मुझे मिलाया है
वो को है, वो को है
मैंने गौर से देखा, वो मेरी माँ है।।
