गोदी में उठाकर दुलार बरसाती गोदी में उठाकर दुलार बरसाती
पाश्चात्य सभ्यता से दूर इक गाँव भारतीय संस्कार को पोषित करता है। पाश्चात्य सभ्यता से दूर इक गाँव भारतीय संस्कार को पोषित करता है।
तुम स्वयं सृष्टि हो, कब तक शोषक पोषित होगा? तुम स्वयं सृष्टि हो, कब तक शोषक पोषित होगा?
फिर फैलेगी तुम्हारी पुष्ट शाखाएँ फिर होगा तुममें स्फूर्ति का संचार फिर फैलेगी तुम्हारी पुष्ट शाखाएँ फिर होगा तुममें स्फूर्ति का संचार
ज्ञान के बीज को सिंचित कर उसे पोषित करना ठीक किसी किसान की भांति, ज्ञान के बीज को सिंचित कर उसे पोषित करना ठीक किसी किसान की भांति,
मैं हतप्रभ हूँ, इन उग्र विचारों के बवंडर से, मैं हतप्रभ हूँ, इन उग्र विचारों के बवंडर से,