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Gita Parihar

Inspirational

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Gita Parihar

Inspirational

नारी

नारी

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वक्त आ गया है  

होंठों के ताले खोलो

अपने को पहचानो

अपना हक अब छीनो।


तुम स्वयं सृष्टि हो,

कब तक शोषक  

पोषित होगा?

रात अंधेरी बीत गई चुकी अब

मिटा तमस बेबसी, लाचारी का

आज तुम्हारा युग है नारी 

 डंका बजाओ सन्नारी का

अब और नुमाइश न होगी 

हर तोलती नज़र झुका डालो।


नहीं उधेड़ेगीं अब परतें 

 तमाशा थीं, नहीं हो अब ।

 अबला थी ,अब चण्डी हो 

 नहीं अहिल्या सी श्रापित।

 नहीं यशोधरा सी तयक्ता

मीरा सा हलाहल नहीं पियोगी..

नहीं पियोगी


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