नारी
नारी
प्राण पीयूष पिलाकर माता देती जीवनदान।
संवेदन अभिसिंचित कर संस्कारित होती संतान।।
संवेदन शून्य हो रहे जनमानस के प्राण ।
नारी युग आने पर ही मिल सकता है त्राण।।
ममता, दया, करुणा, क्षमा छलकाती है नारी।
सेवा, स्नेह, संस्कार, त्याग से परिपूरित है नारी।।
शोषण, उत्पीड़न सहकर भी गरिमा नहीं त्यागती।
सद्भावों की सुरभित बगिया हरदम महकाती।।
प्राण पीयूष पिलाकर माता देती जीवनदान।
संवेदन अभिसिंचित कर संस्कारित होती संतान।।