कठपुतलियां
कठपुतलियां
कठपुतली
आसान नहीं कठपुतली हो जाना
संवेदनाओं को दफन कर देना ।
अपने वजूद को खो देना, मूक
नाचना सजना- संवरना, निरुपाय।
जकड़े रहना वर्जनाओं के धागों से
गिरना,उठना औरों के इशारों पर।
आह नहीं, उच्छवास नहीं
समझनी हैं चाल उंगलियों की।
न अस्तित्व, न भविष्य, न रीढ़, न ज़मीर
संवेदना हीन, प्रतिक्रिया हीन, पूर्णतया समर्पित।
इच्छा से या अनिच्छा से नाचना है
ऊपर वाला भी तो यही कराता है ।
तू निर्जीव है भीड़ रोमांचित है
दिखा करतब भरमा खुद को।
भावनाओं का यहां कोई मोल नहीं
तू कठपुतली है कुछ बोल नहीं।
