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Gita Parihar

Tragedy

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Gita Parihar

Tragedy

कठपुतलियां

कठपुतलियां

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कठपुतली

आसान नहीं कठपुतली हो जाना 

संवेदनाओं को दफन कर देना ।


अपने वजूद को खो देना, मूक

नाचना सजना- संवरना, निरुपाय।


जकड़े रहना वर्जनाओं के धागों से

 गिरना,उठना औरों के इशारों पर।


 आह नहीं, उच्छवास नहीं  

 समझनी हैं चाल उंगलियों की।


 न अस्तित्व, न भविष्य, न रीढ़, न ज़मीर 

संवेदना हीन, प्रतिक्रिया हीन, पूर्णतया समर्पित।


 इच्छा से या अनिच्छा से नाचना है

 ऊपर वाला भी तो यही कराता है ।


तू निर्जीव है भीड़ रोमांचित है

दिखा करतब भरमा खुद को।


 भावनाओं का यहां कोई मोल नहीं

 तू कठपुतली है कुछ बोल नहीं।


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