बच्चों पर वात्सल्य लुटा कर ममता की मूरत कहलाती।। बच्चों पर वात्सल्य लुटा कर ममता की मूरत कहलाती।।
सुन खबर मां-बाप के परेशानियों की नंगे पांव दौड़ी चली आती हैं बेटियां सुन खबर मां-बाप के परेशानियों की नंगे पांव दौड़ी चली आती हैं बेटियां
हर एक पन्ने पर छिपा होता है उसका अपना भाव, हर एक पन्ने पर छिपा होता है उसका अपना भाव,
सेवा, स्नेह, संस्कार, त्याग से परिपूरित है नारी।। सेवा, स्नेह, संस्कार, त्याग से परिपूरित है नारी।।
चुपके-चुपके इन आँखों में कोई पलता है। सपनों के आँगन में चंदा रोज निकलता है चुपके-चुपके इन आँखों में कोई पलता है। सपनों के आँगन में चंदा रोज निकलता है
गीत सुहाने की तरह, कहती पापा बेटियाँ... गीत सुहाने की तरह, कहती पापा बेटियाँ...