जिंदगी एक खुली किताब है।
जिंदगी एक खुली किताब है।
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जिंदगी एक खुली किताब है
जिसके हर एक पन्ने पन्ने का
अपना एक अलग ही हिसाब है।
कभी अक्षर अक्षर जुड़कर बनती है
जिंदगी तो, कभी टूटे ख्वाबों सी
बदलती और बिखरती है जिंदगी।
इस खुली किताब में हर रोज
खुशियां मिलती हैं, और रोज ही
ग़मों के साए के साथ जुड़ती हैं।
हर एक पन्ने पर छिपा होता है
उसका अपना भाव, कभी
चिंता बनकर तड़पाती तो
कभी खुशबू बनकर महकाती
इस मन को।
सचमुच! जिंदगी एक खुली
किताब है जो छिपा कर रखती है,
अपने हर राज को जिसका हर
अक्षर अक्षर हर पन्ने को जोड़ कर
रखती है अपने बनते बिगड़ते
हालातों का हिसाब।
सच! जिंदगी एक खुली किताब है।