किसी के वज़ूद को तलाशती किसी के वज़ूद को तलाशती
मैं भी घुटती हूँ, पिसती हूँ, बिखरती हूँ, टूटती हूँ मैं भी घुटती हूँ, पिसती हूँ, बिखरती हूँ, टूटती हूँ
हर एक पन्ने पर छिपा होता है उसका अपना भाव, हर एक पन्ने पर छिपा होता है उसका अपना भाव,
सिमटती कभी बिखरती खुदा ने नायाब बनाया है, नारी हो तुम हर मर्तबा बेईमानों को समझाया है सिमटती कभी बिखरती खुदा ने नायाब बनाया है, नारी हो तुम हर मर्तबा बेईमानों को स...