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Sirmour Alysha

Inspirational

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Sirmour Alysha

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“ नारी हो तुम ”

“ नारी हो तुम ”

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धूप सहे हुस्न दर्द सहे चश्म वो पाषाण काया है,

हर इल्ज़ाम गुनाहों जुर्म में एक निर्मल साया हैं,


सिमटती कभी बिखरती खुदा ने नायाब बनाया है,

नारी हो तुम हर मर्तबा बेईमानों को समझाया हैं,


लेहज़ा से शीरीनी लफ़्ज़ लोगों ने मौज़ उड़ाया है,

ईमान में रूप काली ज़ुबां पर राधा को बसाया हैं,


बेश्क़ कुछ फ़रेब गुल से महज़ कली टूट आया है,

यूं सफ़र सफ़र हूँ सदाक़त नारी खुद को बताया हैं,


फ़ितरत मशहूर वो राज़ वो पहेली ऐसा दिखाया है,

एक दफ़ा निगाहों में देख हर वजह जाहिर किया हैं,


हैवानों से भरी दुनिया पल पल नारीत्व चमकाया है,

जाँ-सोज़ में हैवानियत अंगार संहार सा दहकाया हैं,


न अंदाज़ा उस्तवार हद का रौद्र रूप का छाया है,

इज़्ज़त मोहब्बत मसर्रत कि प्यासी रूह काया हैं...।।



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