STORYMIRROR

shekhar kharadi

Others

3  

shekhar kharadi

Others

हाँ ..मैं एक स्त्री हूँ

हाँ ..मैं एक स्त्री हूँ

1 min
254

हाँ ..मैं एक स्त्री हूँ ।

भद्दे समाजों में, बेढंग विचारों में,

जड़ प्रथाओं में, रीति रिवाजों में


मैं भी घुटती हूँ, पिसती हूँ,

बिखरती हूँ, टूटती हूँ

भीतर ही भीतर रोकर,

क्षण क्षण मरकर


हाँ ..मैं एक स्त्री हूँ ।

देह की आड़ में, वंश की चाह में,

देहज की मांग में, पिट पिटकर

सतायी जाती हूँ, जलायी जाती हूँ

निष्ठुर रिश्तों में, निःशब्द व्यथा में स्वाहा करके


हाँ ..मैं एक स्त्री हूँ ।

खुलकर उड़ना चाहती हूँ,

सपनों को जीना चाहती हूँ

प्रेम को पाना चाहती हूँ ,

अपनों को मिलना चाहती हूँ

उन्मुक्त हवा में श्वास लेकर,

खुली राहों में चलकर

बंजर हृदय में खुशियां भरकर...



Rate this content
Log in