मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ
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धरती के कण-कण में मैं हूँ
प्रकृति की सुंदरता में मैं हूं
सारा संसार है मुझ में
शक्ति का अवतार भी मैं हूं।।
घर आँगन को महकाती
अन्नपूर्णा मैं कहलाती
बच्चों पर वात्सल्य लुटा कर
ममता की मूरत कहलाती।।
अनेकों रूप होते हैं मेरे
मैं ही जगत जननी कहलाती
नवरात्रि के पावन पर्व पर
शक्ति बनकर पूरी जाती।।
अपने हौसलों की ऊँची उड़ान से
आसमान को मैं छू आती।
जीवन के अवतरण में हूँ
हाँ मैं नारी कहलाती।
