बेटियाँ....
बेटियाँ....
पूरी
कविता
की तरह,
एक शब्द है बेटियाँ....
लाख
दुःखों
की दवा,
मुस्कुराती बेटियाँ....
दोस्त
पुराने
की तरह,
काँधे झूलती बेटियाँ....
हसीं
बहाने
की तरह
हँसी छुपाती बेटियाँ....
गीत
सुहाने
की तरह,
कहती पापा बेटियाँ....
किसी
ख़जाने
की तरह,
मुझे मिली हैं बेटियाँ....
सुन्दर
क्यारी
की तरह,
आँगन महकाती बेटियाँ....
गंगा
नहाने
की तरह,
डोली जाती बेटियाँ....
जीती
बसती
हँसती रहें
खुश रहें सब बेटियाँ....
बेटियाँ....