कमी
कमी
कितनी उदास सी दोपहर है....
जो पास है वो साथ नहीं,
जो साथ है वो पास नहीं।
फासले बढ़ते ही जाएंगे यूँ तो....
मुझे उससे उम्मीद नहीं
उसे मेरी आस नहीं।
सभी ने पूछ लिया जब उदासी का सबब....
मुसकुरा के कह दिया
बस यूँ ही, कुछ खास नहीं।
सौफी़ ही चल दिये तेरी महफ़िल से हम, जिंदगी....
जब मौका था तो मय ना थी
अब मय है पर प्यास नहीं।