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Manoj Sharma

Romance Fantasy

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Manoj Sharma

Romance Fantasy

श्रृंगार

श्रृंगार

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कभी मेरे लिए सजो

        तो कभी अपने लिए,

और कभी-कभार सजा करो

        बस सजने के लिए।

सजावट तुमसे मिलकर

        शरमा ही जाएगी,

बाकी भला क्या रह जाएगा

        फिर सजने के लिए।

नज़रें टिकाए बैठी है

      तेरे आईने पे सरगम,

कोई धुन बेताब हो जैसे

      आज बजने के लिए।

चाँद तेरे माथे की

      बिंदिया बना बैठा है,

काजल से मांगती इशारा

      रात ढलने के लिए।


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