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Manoj Sharma

Abstract

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Manoj Sharma

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मृत्युदंड

मृत्युदंड

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आप जीवित केवल तभी तक हैं,

  जब तक मृत्यु के भय से अपरिचित हैैं।


आप लेखक केेेवल तभी तक हैं,

   जब तक आलोचकों की सभा में बहरे हैं।


रवि का तेज ओस का हत्यारा नहीं है तो,

        घन के गर्जन में क्रोध के स्वर क्यों हैं।


कागज़ के कपाल पर सत्य का तिलक न कर सके तो

निज स्याही से कलम स्वयं को मृत्युदंड लिख ले।


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