डगर
डगर
बहुत तेज है जीवन की डगर
पल में इधर पल में उधर।
संभाल सको तो संभाल लो
वर्ना पतवार जाने जाए किधर।
इस तेज भागती जिंदगी में
ठहर कर देखो एक पल यहाँ।
हर पल खुशनुमा होगा इधर
जब सब का होगा साथ यहाँ।
जमाने से तेज चलने की होड़ में
भाग रहे हो एक अंधी दौड़ में।
छोड़ कर पीछे अपनों का साथ
क्या पाओगे तुम अपने हाथ।
माना कठिन है बहुत समय
लेकिन,
तेजी से रिश्तों को अब सम्हालना होगा
वर्ना ताउम्र हमें फिर पछताना ही होगा।
क्योंकि कौन जाने,
किसके जीवन की नौका जाए किधर।