Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Kajal Kumari

Crime

4  

Kajal Kumari

Crime

बेटी! तू ही जल जायेगी

बेटी! तू ही जल जायेगी

1 min
246


बेटी! तू ही जल जायेगी, आग छिपी गलियारों में। 

प्रेम नहीं बस कामुकता है, इन झूठे बाजारों में।। 


जिसके पीछे पागल तू वह, 

प्यासा है तेरे तन का। 

किया समर्पित क्यों सब उसपर, 

मेल नहीं था जो मन का।। 


जिस दिन मन भर जाता उसका, गिन लेगा बेकारों में। 

प्रेम नहीं बस कामुकता है, इन झूठे बाजारों में।। 


कृष्ण नहीं वह दुःशासन है, 

बैठा चीरहरण करने। 

बनकर श्याम नहीं आयेगा, 

तेरा नेह वरण करने।। 


दिखे तुझे मीठी नदिया वह, शामिल सागर खारों में।

प्रेम नहीं बस कामुकता है, इन झूठे बाजारों में।। 


पढ़ -लिखकर बेटी तू अपनी, 

एक नई पहचान बना। 

सूरज बनकर अँधियारों में, 

मातु- पिता का मान बना।। 


लुटा न देना स्वाभिमान तू, झूठे प्रेम करारों में। 

प्रेम नहीं बस कामुकता है, इन झूठे बाजारों में।।                                                                            


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Crime