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Ganesh Chandra kestwal

Tragedy Crime Others

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Ganesh Chandra kestwal

Tragedy Crime Others

जुल्मी जमाना

जुल्मी जमाना

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         ॥ॐ श्री वागीश्वर्यै नमः॥


जहाँ में सभी को सताने लगे हैं ।

बजह के बिना जुल्म ढाने लगे हैं॥


कहो चूसते खून क्यों बेबसों का?

खता क्या उन्हें जो दुखाने लगे हैं॥


खुशी और की देख सकते नहीं क्यों?

उन्हें लूट अपनी भुलाने लगे हैं॥


नहीं जिंदगी है सँवारी किसी की ।

निजी ही बनाने जलाने लगे हैं॥


दया छोड़ डाली मिली जो खुदा से।

गमों को भुलाने दुखाने लगे हैं॥


कमाया किसी ने वही छीन डाला।

दिखा खौफ अपना बताने लगे हैं॥


'प्रखर' देख जुल्मी जमाना हुआ है।

नया पैंतरा आजमाने लगे हैं॥



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