Devendra Singh
Comedy
हरक़तें जब से हुई हैं तेरी तालीबान सी,
ज़िन्दगी मेरी बना डाली है ये अफ़ग़ान सी।
मुहब्बत
अज़ब-गज़ब
सहारा क्या है...
बेवफा
अल्फ़ाज़ बोलेंग...
कैद
उलझन
रक्षाबंधन
होशियारी
कलम चलदर्द लि...
जिस ईश्वर ने जन्म दिया रोटी वो ही भेजेगा तुम तो बस आराम करो सब कुछ ईश्वर देखेगा। जिस ईश्वर ने जन्म दिया रोटी वो ही भेजेगा तुम तो बस आराम करो सब कुछ ईश्वर देखे...
पहले थी बर्फी अब आई, रसोगुल्ला खाने की बारी। पहले थी बर्फी अब आई, रसोगुल्ला खाने की बारी।
भी हैं, पर कुछ भी कहिये मेरे भाई मेरी जान हैं ये। भी हैं, पर कुछ भी कहिये मेरे भाई मेरी जान हैं ये।
हम बोले ये तो घर-घर की कहानी बहना। हम बोले ये तो घर-घर की कहानी बहना।
तुम अपने घर में ही रहना प्रिये मेरा दर है बंद और बंद ही रहेगा तुम्हारे लिए... तुम अपने घर में ही रहना प्रिये मेरा दर है बंद और बंद ही रहेगा तुम्हारे लिए...
जेब का जब साथ हो, तभी तो तुम्हारा विकास है। जेब का जब साथ हो, तभी तो तुम्हारा विकास है।
भोली जनता से कर भरवाओ नेता जी कहिन, गरीबी मिटाओ। भोली जनता से कर भरवाओ नेता जी कहिन, गरीबी मिटाओ।
बगुला राजगद्दी पे बैठ के हुक्म दे रहा है चल ते बन। बगुला राजगद्दी पे बैठ के हुक्म दे रहा है चल ते बन।
है ये गर्मी, है ये मुसीबत, कैसे रह लूं मैं बिन तेरे है ये गर्मी, है ये मुसीबत, कैसे रह लूं मैं बिन तेरे
किसी को दिल का दौरा पड़ता और कोई कोमा में चला जाता है। किसी को दिल का दौरा पड़ता और कोई कोमा में चला जाता है।
समझ लेना सर धड़ सेे फेविकोल से चिपका है ओ मेरे आका। समझ लेना सर धड़ सेे फेविकोल से चिपका है ओ मेरे आका।
खाओ अब जरा मेरे बनाएँ बेसन के जले चिल्ले कोय़ खाओ अब जरा मेरे बनाएँ बेसन के जले चिल्ले कोय़
कहीं पर सास का तो कहीं पर बहू का पड़ला भारी है! कहीं पर सास का तो कहीं पर बहू का पड़ला भारी है!
बहुत याद करते हैं उन दिनों को हम जब बाहर निकल सकते थे बेफिक्र हम बहुत याद करते हैं उन दिनों को हम जब बाहर निकल सकते थे बेफिक्र हम
क्यों कि ये सचमुच बूढ़ा हो गया है बहुत बूढ़ा हो गया है। क्यों कि ये सचमुच बूढ़ा हो गया है बहुत बूढ़ा हो गया है।
गलती इनकी नहीं ये इमोशनल अत्याचार का ज़माना है प्यार तो बस एक टाईमपास का बहाना है गलती इनकी नहीं ये इमोशनल अत्याचार का ज़माना है प्यार तो बस एक टाईमपास का बह...
उसी का दुख ये भोग थे हो निठल्ले बैठे बेरोजगार। उसी का दुख ये भोग थे हो निठल्ले बैठे बेरोजगार।
यही होता है जब देशी फेमिली में माडर्न शादी का तड़का लग जाता है। यही होता है जब देशी फेमिली में माडर्न शादी का तड़का लग जाता है।
निस्वार्थ पंचायत सेवा करें, वैसा ही बनाना प्रधान जी। निस्वार्थ पंचायत सेवा करें, वैसा ही बनाना प्रधान जी।
कि मैं संपूर्ण हूँ स्वयं में या बाकी मुझमें कुछ और है। कि मैं संपूर्ण हूँ स्वयं में या बाकी मुझमें कुछ और है।