सड़क के उस छोर तक
सड़क के उस छोर तक
चलते जा रहे हैं
कुछ क़दम आगे, कुछ क़दम पीछे
जाने क्यों ऐसा लगता है कि
जितना चले हैं उतना आगे बढ़े क्यों नहीं
शायद हम चल नहीं रहे, रुके हैं
क़दमों की रफ्तार धीमी क्यों है
सवाल अनेक मगर जवाब कोई भी नहीं
मंज़िल का अंत आता क्यों नहीं
मगर तुमको ज़रूरत है किसी की
जो हाथ पकड़कर मंज़िल का पता बताये,
शायद चलते-चलते
तुम्हारा खोया प्यार वापस लौटा दे
जो तुमको स्पर्श कर सके, प्यासे अधरों को चूम सके
तुम सिर्फ़ प्यार करने के लिए बनी हो
चाहने के लिए, स्पर्श करने के लिए
मैं बेबस हूँ, मजबूर हूँ अपना दर्द, अपना प्यार तुमसे
साझा नहीं कर सकता
न तुमको स्पर्श कर सकता हूँ
न तुम्हारा हो सकता हूँ
वो सिर्फ़ तुम हो जिसको खोजना है अपना प्यार
क़दमों की गति बढ़ाकर, मुझे जाना होगा
सड़क के अंत तक, मंज़िल की तलाश में