सब्र का इन्म्तिहान
सब्र का इन्म्तिहान
बेसब्र है मौत समेटने को जिंदगी
सब्र का इन्म्तिहान लिये जा रही
बेफिकर जियू कैसे भला जिंदगी
फिक्र मै सदीया जो बिती जा रही
बेखौफ़ बह रही जो फिजां तूफानी
खौफ़ का सिला जो सिखाये जा रही
बेजबा हुयी जा रही राहे जो उल्फत की
एहसास ए जिंदगी जो संभाले जा रही
बेपाक नही अभी भी मायने जिंदगी की
पाक का सिलाह जो सिखाये जा रही
बेवक्तही नजदिक जो मौत आ रही
वक्त से पहले ही जिने को कह रही
बेसब्र है जिनेको शायाद वो मौत भी
सब्र का इन्म्तिहान जो लिये जा रही।