सावन में इंतज़ार तेरा
सावन में इंतज़ार तेरा
इस सावन के मौसम में भीग भी जाऊँ
तोह सूखा-सूखा सा लागु,
तू न संग हो मेरे यहाँ तोह
मैं सुना-सुना सा लागु,
है ये जो खुशबू हवा में छायी
काश ये तुझ से मिली होती,
शायद उसी एहसास से
मेरी रूह की ताज़गी आज
कुछ और ही होती,
है जो ज़ेहन ये मेरा
तेरे सोच में डूबा हुआ
ये इसकी भी ग़लती नहीं,
तेरा यहाँ शामिल होना इस मौसम में
मुनासिब जो था,
तू होती गर यहाँ तो मेरी
रंग-ए-दुनिया ही कुछ और ही होती,
है थोड़ा सब्र मुझ में अब भी
तेरा इंतज़ार करने में,
पर इतनी भी देर न करना
की कही तेरे आने के से पहले
इस आसमान-ओ-दिल में
मौसम ही कुछ और हो।