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Shoumeet Saha

Romance

3  

Shoumeet Saha

Romance

कुछ बात करनी है

कुछ बात करनी है

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अर्सों बाद इक बात आयी है ज़ेहन में

ज़रा पास आना कुछ बात करनी है,


ज़िन्दगी की भाग-दौड़ तोह लगी रहेगी 

ज़रा सुन कर जाना कुछ बात करनी है,


हाँ मानता हूँ कि तुझे और भी है काम,

दो पल केलिए ही सही,

ज़रा चाय लाना कुछ बात करनी है,


तुझ से किये गए वादे मुझे आज भी याद है,

वक़्त लगा इन्हे मुक़म्मल करने में ज़रूर,

ज़रा दास्तान सुन तो ले मेरी,

कुछ बात करनी है,


हाँ जनता हूँ तेरी आँखों में सवाल होंगे,

होंठों से निकलती तेरी आह है,

पर लफ्ज़ बेशुमार होंगे,


तेरी दूरी, तेरी ख़ामोशी मैं समझ सकता हूँ

तू अकेली नहीं, जिसके दिन बेज़ार होंगे,


क्या कहूँ कि रातों की ख़ामोशी 

अब अजीब सी लगने लगती है,

कुछ दिन तेरी आहट न सुने 

तो लगे फिर तन्हाई से कुछ बात होंगे,


अकेला रहा हूँ मैं बरसों तक 

सोचा अब तो आदत सी हो चुकी होगी,

तेरे आने के बाद ये भी न समझा कि 

ये दो पल अब चार होंगे,


हाथ थम्मे बैठा हूँ पास,

अब चाय भी ठंडी हो चुकी है,


चाय तो बस एक बहाना था 

तुझे पास लाने का,

मेरी प्याली बुझती तो बस 

तेरे होने के एहसास से है....।


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