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Shoumeet Saha

Romance

3  

Shoumeet Saha

Romance

तुझ तक पहुंचे

तुझ तक पहुंचे

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पल दो पल गुज़रते रहते हैं पर 

आज भी तेरा हाथ थामने का 

इंतज़ार करता हूँ,


रात बीती जाए मेरी 

यूँ चाँद से बातें करते हुए,

ये सोच के की यही बातें 

तुझ तक पहुंचे,

कि लफ्ज़ उतरे मेरे होंठों से 

और सीधे तेरे दिल तक पहुंचे,


यूँ अब इस अँधेरे के साये में हूँ 

पर कोई बात नहीं,

बस मेरी इन धड़कनों का एहसास 

तुझ तक पहुंचे,


बढ़ती रहती है अब यह फासले 

वक़्त-ओ-हालात के खातिर पर क्या कीजे,

रुखसत न होती है ये मसले क्या कीजे,


दूर बैठे हैं उम्मीद लगाए कि

पास आने का मौक़ा तो मिले,


मजबूरियों की खातिर खामोश से 

रहते हैं लोगों के सामने,

पर दुआ है कि ये 

बिन ज़िक्र के किये हुए ये बातें 

तुझ तक पहुंचे।।



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