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अजय पटनायक

Fantasy

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अजय पटनायक

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सावन आया

सावन आया

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देख घटा बादल है छाया,अब मत तुम तड़पाओ।

देख विरह से तनमन जलता,सावन आया अब आओ।


बनकर बूंदे टपक रही है,आंसू अब तो आंखों से।

चंचल मन अब लुढ़क रही है, जैसे टूटे पाँखों से।


झरनों से अब झरते पानी ,तुम गीत मिलन के गाओ।

देख विरह से तनमन जलता, सावन आया अब आओ।


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