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Pooja Agrawal

Drama Tragedy Fantasy

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Pooja Agrawal

Drama Tragedy Fantasy

दूर जाना है

दूर जाना है

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शर्तों से बन रिश्ते को छोड़ कर उड़ जाना है 

मुझे तुमसे दूर जाना है

जज्बातों की कभी परवाह नहीं की 

अल्फाजों में बहुत कुछ कह गए तुम,

लफ्ज़ खंजर की तरह लहुलुहान कर गए, 

अब उन जख्मों पर मरहम लगाना है,मुझे तुमसे दूर जाना है

जिसे प्यार समझा वह शायद समझौता था

कब बंध गए हम उस रिश्ते में जो कभी रिश्ता ही नहीं था

अब बंधन को तोड़ कर आजाद हो जाना है 

मुझे तुमसे दूर जाना है

कुछ बोला कुछ समझा, कुछ कहा अनसुना कर दिया

फिर मेरी खामोशी से तुमने 

कितनी आसानी से एका कर लिया, 

मेरी खामोशी के साथ अलग हो जाना है 

मुझे तुमसे दूर जाना है

मोलभाव कभी मैंने सीखी नहीं,

नापतोल मुझे अभी भी आता नहीं ‌

इस गुणा भाग वाली जिंदगी से अब 

पीछा छुड़ाना है मुझे तुमसे दूर जाना है

तरकारी नहीं हूं मैं जो बेस्वाद लगूं

मूर्ति नहीं हूं जो बेजुबान रहूं

लिबास नहीं जिसे पहनकर तुम इतराओ

वस्तु नहीं जिस पर तुम हक जताओ

दालों की तरह तिनके निकालते हो मुझ में

प्रेम का रिश्ता नहीं रखो 

इंसानियत का तो निभाओ

सोने के पिंजरे में बंद चिड़िया को 

दाना देकर हक जताते हो।

खुद बहुत निर्बल हो तुम हो 

ऊपर से नकली रुआव  दिखाते हो

अब इस पिंजरे को तोड़ 

कर नया जहां बसाना है

मुझे तुमसे दूर जाना है।


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