चाहत
चाहत


बस उनसे से ही मिलने की दिल में
चाहत बसी रहती है ऐसे
धरती को हर पल क्षितिज से
मिलने की चाह रहती है जैसे।
भ्रम ये मात्र है कि बस
इस क्षण में ही मिल जाएंगे
पर यें ना जानें ऐसे ही
कितनी सदियां बीत जाएंगी।
अपना दिल है बिल्कुल भोला
सच कभी नहीं है समझ पाता
जिंदगी यूं ही मिट जाएगी
मुमकिन ही नहीं जो इसे भाता।
चाहत की दिल पे हर पल
छाई रहती बस खुमारी है
एक वजह वही खुश रहने की
बेवजह ये दुनिया सारी है।