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नम्रता चंद्रवंशी

Tragedy

4  

नम्रता चंद्रवंशी

Tragedy

अन्धविश्वास

अन्धविश्वास

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अंतर,मंतर ,जादू,टोना,

कर दे मिट्टी को भी सोना।

डायन, ओझा,भूत,पिशाच,

करते सब कष्टों का नाश।"

अस्तित्व ही नहीं इन सबका,

ये तो सिर्फ हैं अन्धविश्वास ।


कितनों का घर उजाड़ दिया इसने,

कितनों की गोद कर दी सूनी।

डॉक्टर छोड़ पड़े रहे झाड़- फूंक में,

मर गया भूरा भी और हुए भी न मुन्ना - मुन्नी।


अन्धविश्वास एक घोर अभिशाप है,

देश के प्रगति में है बड़ी बाधा।

डायन बताकर मार दी जाती है,

ममतामयी ,प्यारी सी भोली राधा।


अज्ञानता एक मात्र इसका वाहक है,

अज्ञानी ही होता है इसका शिकार।

शिक्षित होगा देश - समाज जब अपना,

जड़ से मिट जाएगा ये विकार।


देश - समाज को शिक्षित करना है,

हम सब ने ये ठाना है,

आज से लें ली है प्रतिज्ञा,

अन्धविश्वास को जड़ से मिटाना है।



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